अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच जारी तनाव अब एक नए मोड़ पर पहुँच गया है। तालिबान सरकार ने पाकिस्तान के शीर्ष सैन्य अधिकारियों को वीजा देने से साफ इंकार कर दिया है। जिन अधिकारियों के वीजा आवेदन खारिज किए गए हैं, उनमें पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ, खुफिया एजेंसी आईएसआई के प्रमुख आमिस मलिक और दो अन्य वरिष्ठ जनरल शामिल हैं। सूत्रों के अनुसार, इन सभी अधिकारियों ने पिछले तीन दिनों में अलग-अलग समय पर अफगानिस्तान यात्रा के लिए आवेदन दिए थे, लेकिन काबुल प्रशासन ने बिना देर किए सभी अनुरोध अस्वीकार कर दिए।
तालिबान सरकार के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि पाकिस्तान द्वारा अफगान हवाई क्षेत्र के लगातार उल्लंघन के कारण यह फैसला लिया गया है। उन्होंने कहा कि जब तक पाकिस्तान हमारे हवाई क्षेत्र की संप्रभुता का सम्मान नहीं करता, तब तक किसी भी उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल को अनुमति नहीं दी जाएगी। फिलहाल इस घटना पर पाकिस्तान सरकार की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।
क्यों बढ़ रहा है तनाव?
बीते दिनों पाकिस्तान ने अफगान सीमा क्षेत्र में हवाई हमले किए थे, जिसके बाद दोनों देशों के बीच हालात और बिगड़ गए। अफगानिस्तान का दावा है कि जवाबी कार्रवाई में उसके बलों ने डूरंड लाइन के पास 58 पाकिस्तानी सैनिकों को ढेर कर दिया, 30 को घायल किया और 25 सैन्य चौकियों पर नियंत्रण हासिल कर लिया।
विश्लेषकों का कहना है कि यह घटनाक्रम तालिबान शासन के कूटनीतिक तेवर में आए बदलाव को दर्शाता है। अब वह द्विपक्षीय संबंधों में बराबरी और सम्मान की बात कर रहा है।
विशेषज्ञों की राय
राजनीतिक विश्लेषक मोहम्मद अमीन करीम का मानना है कि अफगानिस्तान के दीर्घकालिक हित पड़ोसी देशों से स्थिर संबंधों में ही हैं, विशेषकर पाकिस्तान से। उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य है कि पाकिस्तान के गठन के बाद से दोनों देशों के रिश्ते कभी सामान्य नहीं हो पाए। वहीं, विश्लेषक सैयद बिलाल फातेमी के अनुसार, जब पाकिस्तान ने अफगान क्षेत्र में बिना किसी ठोस कारण और अंतरराष्ट्रीय नियमों की अनदेखी करते हुए हवाई हमले किए, तो अब दौरे की मांग करना घाव पर नमक छिड़कने जैसा है।
