कोरोना का संकटकालीन समय रूह को कंपा देने वाला था। देशभर में एक अदृश्य बीमारी का खौफ था। सरकार और समाज सब इस महामारी से लड़ रहे थे। हालात बेहद गंभीर और चिंता जनक थे। हमारे पास कुछ नहीं था। न कोई तैयारी और न संसाधन। यहां तक एन 95 मास्क भी भारत के पास नहीं था। इसे भी हम विदेश से क्रय करते थे। स्वास्थ्य सेवाएं लड़खड़ा गईं थी।

किसी को इस बात का अंदाजा तक नहीं था कि यह अदृश्य बीमारी इतनी भयावह हो जाएगी। लेकिन देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र ने तुरंत सभी विषयों को गंभीरता से लेते हुए उस समय देश को भरोसा दिलाया। आत्मनिर्भर भारत का संकल्प लेते हुए आगे बढ़े। देश के वैज्ञानिकनों, शोधकर्ताओं और तमाम स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े लोगों के साथ कई दौर की बैठकें की। कोरोना से लड़ने के लिए हर स्तर पर मजबूत योजना बनाई गई। और इसका परिणाम यह हुआ कि न सिर्फ हमने कोरोना को हराया बल्कि दुनिया को भी इससे बचाव के लिए दवा दी। यह कहना है भारत सरकार के केंद्रीय कोयला और खान मंत्री जी. किशन रेड्डी का। दरअसल, रेड्डी बीते दिन मिशन आईसीयू और सीपीआर ने ‘मिशन क्रिटिकल 2025’ के कार्यक्रम को संबोधित करते हुए ये बाते कहीं हैं।
हेल्थ सेक्टर से जुड़े विषय विशेषज्ञों और शिक्षा विदों ने हिस्सा लिया
भारत के क्रिटिकल केयर इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत बनाने के लिए समर्पित स्वयंसेवी आधारित गैर-लाभकारी संस्था मिशन आईसीयू ने कम्पैशनेट पेशेंट रिस्पॉन्स, इंक. (सीपीआर) के सहयोग से नई दिल्ली में एक दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन ‘मिशन क्रिटिकल: 2047 तक महामारी-प्रतिरोधी भारत की परिकल्पना’ का सफल आयोजन किया। इस कार्यक्रम में देशभर के हेल्थ सेक्टर से जुड़े विषय विशेषज्ञों और शिक्षा विदों ने हिस्सा लिया। अपने सुझाव और अनुभव साझा किया।
लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम- कोयला और खान मंत्री
कोयला और खान मंत्री, जी. किशन रेड्डी ने कहा, “नीति निर्माताओं, सीएसआर नेताओं और स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के दिग्गजों के बीच नीति दस्तावेज़ तैयार करने और एक सुदृढ़ स्वास्थ्य सेवा प्रणाली बनाने हेतु विचारों को साझा करने में आज के सहयोग को देखकर मुझे बहुत खुशी हो रही है। यह सामूहिक प्रयास 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। मैं इन सिफारिशों को उपयुक्त अधिकारियों को भेजूंगा और ऐसी पहलों का यथासंभव समर्थन करूंगा।” अपने संबोधन में उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि स्वास्थ्य सुरक्षा और महामारी तैयारी राष्ट्रीय प्राथमिकताएं हैं, जिनके लिए सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों के सहयोग की आवश्यकता है।
कार्यक्रम की शुरुआत सीपीआर के सह-संस्थापक कृष्णा कोट्टापल्ली के स्वागत संबोधन से हुई, जिसके बाद मिशन आईसीयू के सह-संस्थापक डॉ. अश्विन नाइक ने सभा को संबोधित किया।
कार्यक्रम के दौरान आंध्र प्रदेश मेडटेक ज़ोन (AMTZ) के प्रबंध निदेशक और संस्थापक सीईओ डॉ. जितेंद्र शर्मा ने कहा।
सम्मेलन के प्रमुख परिणामों में से एक था राष्ट्रीय 2047 महामारी तैयारी रोडमैप की घोषणा। यह एक गतिशील दस्तावेज़ (के रूप में कार्य करेगा, जिसमें नीतिगत सिफारिशें, अंतर-क्षेत्रीय सहयोग और भारत की स्वास्थ्य प्रणाली को सुदृढ़ करने की रणनीतियां शामिल होंगी। इस रोडमैप का उद्देश्य है कि सरकार, निजी क्षेत्र और नागरिक समाज के सभी हितधारक मिलकर भारत की स्वतंत्रता के 100 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में 2047 तक महामारी की तैयारी के लिए एक एकीकृत राष्ट्रीय ढांचा तैयार करें।
सीपीआर के सह-संस्थापक डॉ. सत्य गरिमेला ने कहा, “मिशन आईसीयू के साथ हमारा सहयोग यह दर्शाता है कि दृष्टि और कार्य कैसे एक साथ आ सकते हैं। राष्ट्रीय 2047 रोडमैप को इस तरह तैयार किया गया है कि महामारी तैयारी को संस्थागत रूप दिया जा सके और यह सुनिश्चित किया जा सके कि स्वास्थ्य प्रणाली की सुदृढ़ता भारत के विकास एजेंडा का अभिन्न हिस्सा बने।”
सम्मेलन में यह भी रेखांकित किया गया कि कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) की भूमिका संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के अनुरूप टिकाऊ और प्रभावशाली स्वास्थ्य पहल विकसित करने में अत्यंत महत्वपूर्ण है।
मिशन आईसीयू के सह-संस्थापक मानोज शाह ने रोडमैप के बारे में आगे बात करते हुए कहा, “भारत@100 की दृष्टि के साथ महामारी तैयारी को जोड़कर, हम एक ऐसा ढांचा बना रहे हैं जो संकटों से परे टिकेगा और दीर्घकालिक स्वास्थ्य समानता सुनिश्चित करेगा।”
कार्यक्रम का समापन डॉ. अश्विन नाइक के समापन संबोधन के साथ हुआ, जिसमें उन्होंने प्रतिभागियों से आग्रह किया कि वे सम्मेलन के बाद भी सहयोग जारी रखें, ताकि इस संवाद को ठोस और मापनीय कार्यों में परिवर्तित किया जा सके, जो देशभर में स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच को रूपांतरित कर सके।
कृष्णा कोट्टापल्ली ने कहा, “मिशन क्रिटिकल में दिखाई गई सामूहिक भावना और सहभागिता यह पुनः पुष्टि करती है कि भारत की सुदृढ़ता की राह साझेदारी, नवाचार और साझा जिम्मेदारी में निहित है।”
