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IIT दिल्ली में देवेंद्र भाई जन्म शताब्दी समारोह: ग्राम विकास और तकनीकी नवाचार पर हुआ मंथन, आत्मनिर्भर गांवों के मॉडल की हुई तारीफ

नई दिल्ली। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) दिल्ली में 31 अगस्त को गांधीवादी चिंतक और ग्राम विकास के प्रखर पैरोकार स्व. डॉ. देवेंद्र भाई की जन्म शताब्दी (1925-2025) के अवसर पर यादगार समारोह आयोजित किया गया। इस मौके पर देशभर से विशेषज्ञों और विद्वानों ने भाग लिया और ग्राम विकास, नई तकनीकों के उपयोग तथा आत्मनिर्भर गांवों की अवधारणा पर गहन मंथन किय।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने वीडियो संदेश के माध्यम से अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा, “मेरा सौभाग्य रहा कि मुझे देवेंद्र भाई के साथ काम करने का अवसर मिला। उन्होंने इंजीनियरिंग और विज्ञान को ग्रामोत्थान के साधन के रूप में प्रस्तुत किया। उनका जीवन विज्ञान और सेवा का अद्भुत संगम था। गांधी जी की ग्राम विकास की सोच को उन्होंने व्यवहारिक रूप दिया।” गडकरी ने देवेंद्र भाई के कार्यों को नए भारत के लिए प्रेरक बताते हुए उनके आत्मनिर्भर गांवों के मॉडल की सराहना की। वहीं, सीआरडीटी के हेड डॉ. विवेक कुमार ने भी शाताब्दी समारोह के कार्यक्रम को खास बताते हुए ग्राम विकास पर जोर दिया। साथ ही कहा कि नए भारते में विकसित गांवों की भूमिका हमेशा बड़ी रही है। देश की विकास यात्रा गांवों के बिना अधूरी रह जाएगी। इस लिए विकसित ग्राम हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है।

विज्ञान और सेवा का अनूठा संगम

गांधीवादी चिंतन से प्रेरित देवेंद्र भाई ने विज्ञान और तकनीक को गांव की आजीविका, आत्मनिर्भरता और गरिमा से जोड़ा। उन्होंने भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की सहायता से देश का पहला ग्रामीण प्रौद्योगिकी केंद्र स्थापित किया। उनके नेतृत्व में “साइंस फॉर विलेजेस” अभियान शुरू हुआ, जिसमें वैज्ञानिकों, अभियंताओं, कारीगरों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मिलकर सिंचाई, ऊर्जा, आवास, स्वच्छता, कृषि उपकरण और महिला-उन्मुख तकनीकों पर काम किया।लगातार दो दशकों तक उन्होंने ‘साइंस फॉर विलेजेस’ पत्रिका का संपादन किया और ग्रामीण विज्ञान को जन-जन तक पहुंचाने का प्रयास किया।

विनोबा भावे और गांधी से गहरी प्रेरणा

डॉ. देवेंद्र भाई ने महात्मा गांधी और आचार्य विनोबा भावे से गहरी प्रेरणा ली। वे भूमिहीन किसानों और गरीबों के साथ रहते हुए भूमिदान आंदोलन और सर्वोदय कार्यों से जुड़े रहे। उनका मानना था कि गांव की समस्याओं का हल गांव की जमीन पर ही खोजा जाना चाहिए और विज्ञान को स्थानीय परिस्थितियों और जरूरतों के अनुसार ढालना चाहिए।

क्यों खास है जन्म शताब्दी वर्ष 2025

देवेंद्र भाई की जन्म शताब्दी केवल उनके योगदान को याद करने का अवसर नहीं है, बल्कि उनके विचारों और कार्यों को नए भारत की जरूरतों के अनुरूप अपनाने का आह्वान भी है। उनकी वैज्ञानिक सोच, पर्यावरणीय दृष्टि और ग्राम विकास मॉडल आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने उनके जीवनकाल में थे।

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